छत्तीसगढ़। शुक्रवार को छत्तीसगढ़ के नारायणपुर-दंतेवाड़ा सीमावर्ती क्षेत्र में नक्सलियों और जिला रिजर्व समूह (डीआरजी) के जवानों के बीच एक बड़ी मुठभेड़ हुई, जिसमें पांच नक्सली मारे गए। पुलिस के अनुसार, इस मुठभेड़ में तीन जवान भी घायल हो गए हैं। पुलिस अधिकारियों ने बताया कि नारायणपुर, दंतेवाड़ा और कोंडागांव जिलों की सीमा पर सुरक्षाबलों ने इन पांच नक्सलियों को मार गिराया है।
नक्सल विरोधी अभियान की शुरुआत
पुलिस के मुताबिक, गुरुवार की रात सुरक्षाबलों को नक्सल विरोधी अभियान के तहत नारायणपुर, दंतेवाड़ा और कोंडागांव जिलों की सीमा पर स्थित मुंगेडी और गोबेल क्षेत्र में भेजा गया था। शुक्रवार सुबह जब सुरक्षाबल गोबेल क्षेत्र में पहुंचे, तो नक्सलियों ने उन पर गोलीबारी शुरू कर दी। इसके बाद सुरक्षाबलों ने भी जवाबी कार्रवाई की। दोनों ओर से दिनभर रुक-रुक कर गोलीबारी होती रही।
मुठभेड़ के बाद की स्थिति
मुठभेड़ के बाद अधिकारियों ने बताया कि सुरक्षाबलों ने अब तक पांच नक्सलियों के शव बरामद किए हैं। इस घटना में और भी नक्सलियों के घायल होने की संभावना है। अधिकारियों ने यह भी बताया कि मुठभेड़ में नारायणपुर डीआरजी के तीन जवान घायल हुए हैं, जिनकी स्थिति सामान्य और खतरे से बाहर है। इस संयुक्त अभियान में नारायणपुर, कोंडागांव, दंतेवाड़ा, जगदलपुर की डीआरजी और भारत-तिब्बत सीमा पुलिस की 45वीं वाहिनी का बल शामिल था।
क्षेत्र में तलाशी अभियान
मुठभेड़ के बाद सुरक्षाबलों ने पूरे इलाके में सर्च अभियान शुरू कर दिया है। इस साल अब तक राज्य में सुरक्षाबलों के साथ हुई अलग-अलग मुठभेड़ों में 123 नक्सली मारे जा चुके हैं। इससे पहले 23 मई को नारायणपुर-बीजापुर अंतर-जिला सीमा पर जंगल में सुरक्षाकर्मियों के साथ मुठभेड़ में सात नक्सली मारे गए थे, जबकि 10 मई को बीजापुर जिले में 12 नक्सली मारे गए थे।
मुठभेड़ का प्रभाव
छत्तीसगढ़ में नक्सली हिंसा लंबे समय से एक गंभीर समस्या रही है। सुरक्षाबलों की लगातार कार्रवाई और नक्सल विरोधी अभियानों के बावजूद, नक्सलियों की गतिविधियाँ अब भी चुनौतीपूर्ण बनी हुई हैं। इस मुठभेड़ से यह स्पष्ट है कि नक्सली हिंसा के खिलाफ संघर्ष में सुरक्षाबलों की सख्ती जारी है। सुरक्षाबलों की यह सफलता न केवल क्षेत्र में शांति और स्थिरता लाने में सहायक है, बल्कि नक्सलियों के मनोबल पर भी प्रहार करती है।
भविष्य की रणनीति
सरकार और सुरक्षा एजेंसियों को नक्सलियों के खिलाफ अपनी रणनीति में निरंतर सुधार करते रहना होगा। क्षेत्रीय विकास, शिक्षा, और रोजगार के अवसरों में सुधार करके भी नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में स्थायी शांति लाई जा सकती है। इसके साथ ही, स्थानीय समुदायों के साथ संवाद और उनकी सहभागिता भी महत्वपूर्ण है, जिससे नक्सलियों को मिलने वाला समर्थन कम हो सके।
छत्तीसगढ़ में सुरक्षाबलों और नक्सलियों के बीच हुई इस मुठभेड़ में पांच नक्सलियों के मारे जाने और तीन जवानों के घायल होने की खबर ने एक बार फिर से राज्य में नक्सली हिंसा की गंभीरता को उजागर किया है। सुरक्षाबलों की त्वरित और प्रभावी कार्रवाई ने यह सिद्ध कर दिया है कि वे नक्सली हिंसा के खिलाफ हर चुनौती का सामना करने के लिए तैयार हैं। इसके साथ ही, राज्य और केंद्र सरकार को मिलकर नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में विकास और सुरक्षा दोनों को प्राथमिकता देनी होगी, ताकि इस हिंसा से स्थायी रूप से निपटा जा सके।