फर्जी तरीके से आदिवासियों की जमीन का बिक्री का मामला

Team 24 News
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मोहला बानपुर अंबागढ़ चौकी क्षेत्र में आदिवासियों की जमीन को गैर-आदिवासियों द्वारा फर्जी तरीके से खरीदने और बेचने के कई मामले सामने आए हैं। इस मुद्दे की गंभीरता को देखते हुए आदिवासियों ने कलेक्टर और एसपी से शिकायत की। शिकायत के बाद कलेक्टर ने एक जांच दल गठित किया, जिसके बाद से ही राजस्व विभाग और दलालों के बीच खलबली मच गई है।

फर्जीवाड़े की घटनाएं और जांच की स्थिति

आदिवासी बहुल्य मोहला मानपुर अंबागढ़ चौकी जिले में पिछले कई महीनों से गैर-आदिवासी जमीन दलालों के माध्यम से जमीन की खरीद-फरोख्त कर रहे हैं। हाल ही में धोब डंड में आदिवासी परिवार के श्रवण कोराम ने ढाई एकड़ जमीन बेची थी। इस जमीन के एवज में खरीदार ने चार एकड़ जमीन को फर्जी तरीके से आदिवासी युति के नाम पावर ऑफ अटॉर्नी करवा दी। युति ने अपने नाम हुई जमीन को खुद ही बेच दिया। जब किसान को इस धोखाधड़ी की जानकारी हुई, तो उन्होंने कलेक्टर और एसपी से शिकायत की।

दूसरे मामले और उनकी जांच

विभूषण देशमुख की मुरार गोटा में स्थित 25 एकड़ भूमि में से 15 एकड़ भूमि को मोहला निवासी जमीन दलाल संजय मिश्रा ने फर्जी तरीके से खड़गांव निवासी देवेंद्र गुप्ता को 1 लाख में बेच दी। इस मामले में संजय मिश्रा के साथ-साथ राजस्व अधिकारी, पटवारी और कंप्यूटर ऑपरेटर की भूमिका भी संदेह के घेरे में है। विभूषण ने इस धोखाधड़ी की शिकायत कलेक्टर और एसपी से की है।

बढ़ते फर्जीवाड़े के मामले और सरकार की प्रतिक्रिया

लगातार बढ़ते फर्जीवाड़े के मामलों को देखते हुए सर्व आदिवासी समाज और जिला विकास समिति के सदस्यों ने उप मुख्यमंत्री विजय शर्मा से मुलाकात की। उन्होंने ज्ञापन सौंपते हुए फर्जी तरीके से जमीनों की खरीदी-बिक्री पर रोक लगाने और दोषियों पर कार्रवाई करने की मांग की।

कलेक्टर की जांच और कार्रवाई

कलेक्टर ने जांच दल गठित कर जांच के आदेश दिए थे। संयुक्त जांच दल ने जांच कर अपनी रिपोर्ट कलेक्टर को सौंप दी, जिसके आधार पर कलेक्टर ने एसपी को दोषियों पर कार्रवाई करने का पत्र लिखा है। राजस्व विभाग द्वारा भी आवश्यक कार्रवाई की जा रही है। अब देखना यह है कि फर्जी तरीके से बेची जा रही आदिवासियों की जमीन के इस खेल में दोषियों पर कब तक और क्या कार्रवाई होती है।

आदिवासियों की जमीन को फर्जी तरीके से बेचने का यह खेल सिर्फ एक आर्थिक धोखाधड़ी नहीं है, बल्कि यह आदिवासी समुदाय के अधिकारों का हनन भी है। सरकार और प्रशासन को इस गंभीर समस्या पर कड़ी निगरानी रखनी चाहिए और दोषियों पर सख्त कार्रवाई करनी चाहिए ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हो। आदिवासी समाज को भी जागरूक रहना होगा और अपनी जमीन की सुरक्षा के लिए सतर्कता बरतनी होगी।

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