Hindi News Chhattisgarh: रायपुर कोर्ट में हलचल मचा हुआ है, क्योंकि ईडी ने महादेव ऐप घोटाले के प्रथम पूरक अभियोजन परिवाद को 1800 पन्नों के साथ पेश किया है। इस परिवाद में बातचीत होगी, जिसमें पांच आरोपीयों का नाम शामिल है, जैसे कि भीम सिंह यादव, असीम दास, शुभम सोनी, अनिल अग्रवाल, और रोहित गुलाटी। अब हम इस घटना की गहराईयों में चलेंगे और इसे अन्य संबंधित मुद्दों के साथ जोड़ेंगे।
चुनावी दौर में रहस्यमय वीडियो आया था
चुनावी महौल में, एक वीडियो ने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्मों पर धूम मचा दी थी, जिसके बाद शुभम सोनी ने ईडी को एक ईमेल भेजा था। इस ईमेल को ऐंबेसी ने सत्यापित किया था। वीडियो में शुभम सोनी ने खुद को महादेव ऐप के संचालक कहते हुए कांग्रेस पार्टी और पूर्व सीएम भूपेश बघेल को 508 करोड़ रुपए देने का आरोप लगाया था।
ईडी का प्रतिसाद
ईडी ने इस मामले में गंभीरता से निबटने का दावा किया है, और उन्होंने रायपुर कोर्ट में पहला पूरक अभियोजन परिवाद पेश किया है। यह परिवाद 1800 पन्नों का है और इसमें महादेव ऐप घोटाले की सभी जानकारी होगी, जिसमें आरोपित व्यक्तियों के खिलाफ बुनियादी तथ्यों को उजागर किया जाएगा।
आरोपी और आरोप
परिवाद में भीम सिंह यादव, असीम दास, शुभम सोनी, अनिल अग्रवाल, और रोहित गुलाटी को आरोपी बताया गया है। इसमें उनकी भूमिका और आरोपों की विस्तार से जानकारी होगी, जिससे पठक यह समझ सकें कि आरोप कितने प्रमुख हैं और उनकी विवादास्पद चरित्रिता क्या है।
अभियोजन की गाढ़ाई में
अभियोजन परिवाद के माध्यम से हम इस घटना के मुद्दों की गहराईयों में प्रवेश करेंगे, जिसमें गैरकानूनी गतिविधियों के संकेत और उनके पीछे की रणनीतियों को समझेंगे। इसके साथ ही, आपको यहां तक पहुंचाएगा कि इसमें जो गड़बड़ी हुई थी, वह किस प्रकार की थी और कैसे यह आयोजित हुआ।
बहस का समय
आरोपीयों के खिलाफ पेश किए गए परिवाद की बहस 10 जनवरी को होगी। यह समय निर्धारित होते ही, सुनवाई के दौरान उच्चतम गुणवत्ता के साथ रिपोर्टिंग की जाएगी, ताकि लोगों को तत्काल और सटीक जानकारी प्राप्त हो सके।
महादेव ऐप घोटाले का यह पूरक अभियोजन एक बड़ा खुलासा है जो समाज में हलचल मचा रहा है। इसमें शामिल होने वाले आरोपीयों के खिलाफ पेश किए गए पन्नों की संख्या, बहस की तारीख और मुद्दों की गहराईयों में जानकारी देने से यह लेख आपको इस विषय पर सटीकता से समर्थन करेगा। हम सभी को इस मामले की वास्तविकता को समझने के लिए इस मुद्दे पर गहरा विचार करने का आदान-प्रदान करते हैं और न्यायप्रणाली की सुरक्षा की जानी चाहिए।
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