गणेश जी की आरती हिंदी में: शुभ कार्यों की सफलता का प्रथम मंत्र
गणेश जी की आरती हिंदी में: भगवान गणेश को विघ्नहर्ता और शुभ कार्यों के आरंभकर्ता के रूप में माना जाता है। किसी भी नए कार्य या शुभ अवसर से पहले गणेश जी की आरती करना अनिवार्य समझा जाता है। ऐसा माना जाता है कि उनकी आरती करने से सभी बाधाएं दूर होती हैं और कार्य में सफलता मिलती है। गणेश चतुर्थी के अवसर पर, विशेष रूप से भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को, गणपति की पूजा-अर्चना और आरती का विशेष महत्व होता है।
गणेश जी की आरती हिंदी में
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।।
एकदंत, दयावन्त, चार भुजाधारी,
माथे सिन्दूर सोहे, मूस की सवारी।
पान चढ़े, फूल चढ़े और चढ़े मेवा,
लड्डुअन का भोग लगे, सन्त करें सेवा।। ..
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश, देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।।
अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया,
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया।
‘सूर’ श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा।।
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा ..
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।
दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी।
कामना को पूर्ण करो जय बलिहारी।
गणेश जी की आरती हिंदी में (दूसरी आरती )
सुखकर्ता दुःखहर्ता वार्ता विघ्नाची
नुरवी पुरवी प्रेम कृपा जयाची
सर्वांगी सुंदर उटी शेंदुराची
कंठी झलके माल मुक्ता फलांची।
जयदेव जयदेव जयदेव जयदेव
जयदेव जयदेव जय मंगलमूर्ति
दर्शन मात्रे मन कामना पूर्ती। जयदेव जयदेव जयदेव जयदेव
रत्नखचित फरा तुज गौरीकुमरा
चंदनाची उटी कुमकुम केशरा
हीरे जड़ित मुकुट शोभतो बरा
रुणझुणती नूपुरे चरणी घागरिया।
जयदेव जयदेव जयदेव जयदेव
जयदेव जयदेव जय मंगलमूर्ति
दर्शन मात्रे मन कामना पूर्ती। जयदेव जयदेव जयदेव जयदेव
लम्बोदर पीताम्बर फणिवर बंधना
सरल सोंड वक्र तुंड त्रिनयना
दास रामाचा वाट पाहे सदना
संकटी पावावे निर्वाणी रक्षावे सुर वर वंदना।
जयदेव जयदेव जयदेव जयदेव
जयदेव जयदेव जय मंगलमूर्ति
दर्शन मात्रे मन कामना पूर्ती। जयदेव जयदेव जयदेव जयदेव ।।
गणेश जी की पूजा का महत्व
भगवान गणेश की पूजा भारतीय संस्कृति में अत्यधिक महत्वपूर्ण मानी जाती है। उन्हें “प्रथम पूज्य” कहा जाता है, जिसका अर्थ है कि किसी भी धार्मिक अनुष्ठान या शुभ कार्य से पहले उनकी पूजा की जाती है। चाहे वह गृह प्रवेश हो, शादी हो, या कोई नया व्यापार आरंभ करना हो, गणेश जी की आरती के बिना ये सभी अनुष्ठान अधूरे माने जाते हैं। गणेश जी का स्मरण करने से न केवल कार्य में सफलता प्राप्त होती है, बल्कि जीवन के सभी विघ्न भी दूर होते हैं।
भाद्रपद मास का सकष्टी चतुर्थी व्रत
भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को सकष्टी चतुर्थी के रूप में मनाया जाता है। इस दिन को गणेश चतुर्थी भी कहा जाता है, जो भगवान गणेश के जन्मदिन के रूप में मनाई जाती है। इस पावन अवसर पर भक्त विधि-विधान से गणेश जी की पूजा करते हैं। पूजा के दौरान गणेश जी की आरती का विशेष महत्व होता है। ऐसा कहा जाता है कि इस दिन विधिपूर्वक गणपति की आरती करने से जीवन में सुख, समृद्धि और शांति की प्राप्ति होती है।
गणेश जी की आरती के लाभ
गणेश जी की आरती करने से कई प्रकार के लाभ होते हैं। इसका सबसे प्रमुख लाभ यह है कि यह भक्तों के जीवन से सभी प्रकार के विघ्न और बाधाओं को दूर करती है। इसके अतिरिक्त, गणेश जी की आरती करने से मन में शांति और आत्मिक बल की प्राप्ति होती है। ऐसा माना जाता है कि आरती के दौरान गणेश जी की कृपा से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। गणेश जी की आरती न केवल आध्यात्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह मानसिक और भावनात्मक शांति भी प्रदान करती है।
गणपति आरती: आध्यात्मिक यात्रा की शुरुआत
गणेश जी की आरती करना एक आध्यात्मिक अनुभव होता है। यह आरती भक्तों को भगवान के साथ एक विशेष संबंध में बांधती है। “जय गणेश, जय गणेश देवा” जैसे मंत्रों का उच्चारण करते हुए, भक्त अपनी सभी समस्याओं और चिंताओं को भगवान गणेश के चरणों में समर्पित करते हैं। गणेश जी की आरती के बिना पूजा अधूरी मानी जाती है। यह आरती भक्तों को भगवान की कृपा और आशीर्वाद का अनुभव कराती है।
जय गणेश-जय गणेश और जयदेव, जयदेव मंगलमूर्ति आरती
गणेश जी की आरती के दौरान, भक्त “जय गणेश, जय गणेश देवा” का गान करते हैं। यह आरती गणेश जी की महिमा का वर्णन करती है और उन्हें विघ्नहर्ता के रूप में पूजती है। जय गणेश आरती के बोल भक्तों को एक सकारात्मक ऊर्जा और आध्यात्मिक अनुभूति से भर देते हैं। इसके साथ ही, जयदेव, जयदेव मंगलमूर्ति आरती भी भगवान गणेश की विशेष आरती मानी जाती है। इस आरती में गणपति की शक्ति और महिमा का गुणगान किया जाता है।
गणेश जी की आरती हर प्रकार के शुभ कार्य का प्रारंभ मानी जाती है। यह न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह हमारे जीवन में सकारात्मकता और सफलता का द्वार भी खोलती है। गणपति बप्पा की आरती करने से न केवल भगवान की कृपा प्राप्त होती है, बल्कि हमारे जीवन में आने वाली सभी चुनौतियों से निपटने की शक्ति भी मिलती है। इसलिए, हर शुभ कार्य से पहले गणेश जी की आरती अवश्य करें और उनकी कृपा का अनुभव करें।